पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
महाभारत काल से दिल्ली के प्रसिद्ध मंदिर
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।
The uncovered kinds notice the Trayodashi (thirteenth lunar working day) rapid, They meditate and execute the sacred hearth ceremony. They notice the Trayodashi quick often, Making sure that their bodies continue to be absolutely free from afflictions.
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह Shiv chaisa परीक्षा तबहिं पुरारी॥
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥